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STORY OF 3 FISHES
तीनों मछलियों ने मछुआरों की बातें सुन ली थीं। अन्ना ने तुरंत कहा, “साथियों, हमने मछुआरों की बात सुन ली है। यहाँ अब रहना खतरनाक है। हमें जल्द से जल्द इस जगह को छोड़ देना चाहिए। मैं तो इस तालाब  को छोड़कर नदी में जा रही हूँ। मछुआरे जब कल आएंगे, तब तक मैं सुरक्षित नदी में रहूँगी।”


प्रत्यु ने अन्ना की बात पर हंसते हुए कहा, “तुम जाना चाहती हो, तो जाओ। लेकिन मुझे अभी कोई खतरा नजर नहीं आता। मछुआरे कल आ भी सकते हैं और नहीं भी। हो सकता है, उनका जाल फट जाए, या रात को भारी बारिश हो जाए और उनका गांव बह जाए। इसलिए मैं यहीं रहूंगी और जब संकट आएगा, तब सोचूंगी कि क्या करना है।”

यद्दी ने अपने भाग्यवादी विचार व्यक्त किए, “अन्ना, भागने से कुछ नहीं होगा। अगर मछुआरे आना तय है, तो वे आएंगे, और अगर किस्मत में मरना लिखा है, तो हम मरेंगे ही। इससे बचा नहीं जा सकता।” STORY OF 3 FISHES

अन्ना ने बिना समय बर्बाद किए तालाब  छोड़ दिया और नदी की ओर चली गई। लेकिन प्रत्यु और यद्दी वहीं रुकी रहीं। अगले दिन सुबह मछुआरे अपने जाल लेकर आए और तालाब  में जाल डालने लगे।

प्रत्यु ने जब संकट को करीब आते देखा, तो उसने अपनी जान बचाने का उपाय सोचना शुरू किया। उसे याद आया कि तालाब  में एक मरे हुए ऊदबिलाव की लाश तैर रही थी। प्रत्यु उस सड़ी हुई लाश के पेट के अंदर घुस गई और उसकी बदबू अपने ऊपर लपेट ली। जब मछुआरे ने जाल खींचा, तो प्रत्यु भी जाल में फंस गई, लेकिन वह मरी हुई मछली की तरह बिलकुल निश्चल पड़ी रही। STORY OF 3 FISHES

मछुआरे ने जब प्रत्यु को उठाकर सूंघा, तो उसने गुस्से में कहा, “यह तो सड़ी हुई मछली है!” और उसे तालाब  में फेंक दिया। प्रत्यु ने अपनी चालाकी से संकट से बचने का रास्ता निकाल लिया और सुरक्षित गहराई में जाकर छिप गई।

लेकिन यद्दी, जो भाग्य पर निर्भर थी, मछुआरों के जाल में फंस गई। उसे और अन्य मछलियों को टोकरी में डाल दिया गया, और वहां तड़पते-तड़पते उसकी जान चली गई।

सीख:


भाग्य हमेशा उनका साथ देता है, जो सही समय पर सही कदम उठाते हैं। भाग्य के भरोसे बैठने वालों का विनाश निश्चित है।

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